शिक्षक क्यों हो सकते हैं आउटडेटेड?

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 नमस्कार दोस्तों आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और
 शिक्षक दिनों दिन आउटडेटेड की ओर अग्रसर हो रहें हैं।
अतः शिक्षक कैसे आउटडेटेड होने से बच सकते हैं इस पर चर्चा करेंगे।

प्रस्तावना: शिक्षा और समय का रिश्ता

21वीं सदी में शिक्षा का स्वरूप बदल रहा है। तकनीकी विकास, सामाजिक बदलाव, डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता और नई शैक्षिक नीतियों ने शिक्षकों की भूमिका को भी परिवर्तित कर दिया है। ऐसे समय में ‘नवा जतन’ यानी नया प्रयास की संकल्पना सामने आती है — यह प्रयास न केवल छात्रों को नई दुनिया से जोड़ने का है, बल्कि शिक्षकों को भी समय के साथ अपडेटेड बनाए रखने का एक सार्थक आंदोलन है।

"नवा जतन" का अर्थ है — खुद को आउटडेटेड होने से बचाना। यह केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक चेतना है कि यदि शिक्षक समय के साथ नहीं बदले, तो उनके ज्ञान का कोई मूल्य नहीं रहेगा। शिक्षक को लगातार सीखते रहना होगा, तभी वे विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक और प्रेरणास्पद रह पाएंगे।


‘नवा जतन’ की मूल अवधारणा:

"नवा जतन" का शाब्दिक अर्थ है — नया प्रयास। लेकिन आज के संदर्भ में यह प्रयास शिक्षक के लिए एक आत्म-परिवर्तन की यात्रा है। शिक्षक अगर वही पुराना पाठ पढ़ाते रहे, पुराने तरीके अपनाते रहे, और तकनीक से दूर रहे, तो वे खुद भी अप्रासंगिक हो जाएंगे और छात्रों के भविष्य को भी पीछे खींच देंगे।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य है:

  • शिक्षकों को आधुनिक तकनीकी एवं शिक्षण कौशल में दक्ष बनाना।
  • उन्हें 21वीं सदी के कौशल से जोड़ना।
  • सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को नवाचारपूर्ण और आकर्षक बनाना।

शिक्षक क्यों हो सकते हैं आउटडेटेड?

1. तकनीक से दूरी:
आज हर क्षेत्र में डिजिटल बदलाव आ चुका है। लेकिन यदि शिक्षक अब भी केवल ब्लैकबोर्ड तक सीमित हैं, तो वे अपने छात्रों की डिजिटल जरूरतों को नहीं समझ पाएंगे।

2. शिक्षा नीति की अनभिज्ञता:
NEP 2020 जैसे बड़े बदलाव यदि शिक्षक न समझें, तो वे छात्र को नई नीति के अनुसार शिक्षित नहीं कर पाएंगे।

3. एकरूप शिक्षण शैली:
हर छात्र का सीखने का तरीका अलग होता है। यदि शिक्षक एक ही तरीके से पढ़ाते हैं, तो वे कई छात्रों को साथ नहीं जोड़ पाएंगे।

4. केवल ज्ञान देना, प्रेरणा नहीं:
अब शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि सोचने, सृजन करने और समाधान निकालने की प्रेरणा देना भी है।


नवा जतन की जरूरत क्यों है?

  • आज का विद्यार्थी गूगल, यूट्यूब और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में जी रहा है।
  • यदि शिक्षक उसे वही पुराना पाठ रटवाते रहे, तो छात्र की जिज्ञासा मर जाएगी।
  • ‘नवा जतन’ शिक्षक को तकनीक, विचार, और व्यवहार में समकालीन बनाता है।
  • शिक्षक को अब साड़ी या स्केल ही नहीं, कोडिंग, डिज़िटल टूल्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषय भी सीखने होंगे।

शिक्षक के जीवन में 'नवा जतन' कैसे लाया जाए?

1. निरंतर प्रशिक्षण (Continuous Training):

शिक्षकों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाए जिसमें वे डिजिटल टूल्स, स्मार्ट क्लास, एवं नवीन शिक्षण विधियों को समझ सकें।

2. डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy):

प्रत्येक शिक्षक को बेसिक कंप्यूटर, ईमेल, ऑनलाइन क्लास, स्मार्ट फोन पर क्लास संचालन, और गूगल टूल्स की जानकारी होनी चाहिए।

3. इनोवेटिव टीचिंग तकनीकें:

  • कहानी विधि
  • प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण
  • गेम आधारित शिक्षण
  • फ्लिप्ड क्लासरूम
    इन सभी तरीकों को सीखना और अपनाना आवश्यक है।

4. पुस्तक से आगे बढ़ना:

पाठ्यपुस्तक जरूरी है, परंतु शिक्षक को वर्तमान समाज, विज्ञान, तकनीक, और रोजगार के अवसरों के साथ भी छात्र को जोड़ना चाहिए।

5. सीखने की ललक:

शिक्षक को यह आत्ममंथन करना होगा कि —
"क्या मैं जो पढ़ा रहा हूँ, वह आज के छात्र की जरूरत है?"
यदि उत्तर 'नहीं' है, तो "नवा जतन" का वक्त आ गया है।


'नवा जतन' के अंतर्गत किए जा सकने वाले कार्य

क्र. नव प्रयास उद्देश्य
1. शिक्षक डिजिटल अकादमी प्रत्येक शिक्षक के लिए व्यक्तिगत डिजिटल शिक्षा प्लेटफ़ॉर्म
2. साप्ताहिक ई-शिक्षण चुनौती प्रत्येक सप्ताह शिक्षक को नया तकनीकी कौशल सिखाना
3. शिक्षण पोर्टफोलियो निर्माण शिक्षक द्वारा ऑनलाइन अपने शिक्षण कार्यों का पोर्टफोलियो बनाना
4. स्कूल स्तर पर नवा क्लब जहां शिक्षक और छात्र मिलकर नवाचार करें
5. मासिक ‘शिक्षक अपडेट सम्मेलन’ नए शोध, नीति, तकनीक पर मासिक संवाद

व्यक्तिगत परिवर्तन की आवश्यकता

"नवा जतन" की सफलता केवल सरकारी निर्देश से नहीं होगी। इसके लिए शिक्षक का आत्मबलिदान, जिज्ञासा और प्रतिबद्धता आवश्यक है।

शिक्षक को स्वयं से पूछने चाहिए ये प्रश्न:

  • क्या मैं 10 साल पहले जैसा ही पढ़ा रहा हूँ?
  • क्या मेरे पास स्मार्ट फोन होने के बावजूद मैंने एक भी एजुकेशनल ऐप का प्रयोग किया है?
  • क्या मुझे AI, ML, या Digital Citizenship जैसे शब्दों की समझ है?
  • क्या मेरा ज्ञान बच्चों के वर्तमान और भविष्य से मेल खाता है?

यदि उत्तर ‘नहीं’ है, तो शिक्षक को "नवा जतन" करना ही होगा।


समाज और शिक्षा विभाग की भूमिका

शिक्षक को अपडेटेड रखने की जिम्मेदारी केवल उसकी नहीं, अपितु पूरे सिस्टम की है।

  • सरकार को प्रशिक्षण हेतु बजट, संसाधन और समय देना चाहिए।
  • शिक्षा विभाग को मूल्यांकन आधारित प्रशिक्षण योजना लागू करनी चाहिए।
  • स्कूल प्रधानाचार्य को ऐसे परिवेश का निर्माण करना चाहिए जहाँ शिक्षक सीखने के लिए प्रेरित हों।

 ब्लैक बोर्ड से स्मार्टबोर्ड तक: बदलाव की यात्रा

पहले शिक्षक चॉक, स्केल और किताब से पढ़ाते थे। आज गूगल फॉर्म, पीपीटी और यूट्यूब से पढ़ाते हैं। कल शायद वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एआर/वीआर, और हाइब्रिड क्लास से पढ़ाएंगे।

इसलिए जरूरी है कि शिक्षक:

  • नई तकनीक से घबराएं नहीं।
  • छात्रों से भी सीखने को तैयार रहें।
  • शिक्षक का अहम छोड़ कर सीखने वाला शिक्षक (Learning Teacher) बनें।

मोटिवेशनल संदेश: शिक्षक और धोखा

यदि एक शिक्षक समय के साथ नहीं सीखा, और पुरानी पद्धति से पढ़ाता रहा — तो वह अपने विद्यार्थियों के भविष्य के साथ धोखा कर रहा है।

शिक्षक का दायित्व है:

  • समय से आगे सोचना।
  • विद्यार्थियों के हित में स्वयं को बदलना।
  • प्रेरणा बनना, केवल पाठ्य सामग्री नहीं।

"नवा जतन" का मूल संदेश यही है — खुद को बदलो, ताकि तुम दूसरों को बदल सको।


निष्कर्ष: ‘नवा जतन’ — परिवर्तन की मशाल

शिक्षक केवल पाठ्यक्रम का वाहक नहीं होता, वह समाज निर्माण की नींव है। इसलिए यदि शिक्षक खुद को अपडेटेड नहीं रखेगा, तो राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया ही धीमी हो जाएगी।

आज का युग ‘डिजिटल इंडिया’, ‘नवाचार’ और ‘21वीं सदी के कौशल’ का है। ऐसे में शिक्षक को ‘नवा जतन’ की राह पर चलना होगा —

  • नई तकनीक सीखनी होगी,
  • नए विचार अपनाने होंगे,
  • और सबसे महत्वपूर्ण — खुद को रोज अपडेट करना होगा।

शिक्षक का हर दिन नया हो, हर पाठ नया हो, और हर प्रयास “नवा जतन” हो — यही 21वीं सदी के शिक्षा की जरूरत है।


✍️लेखक:
मुकेश कुमार, शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत, 

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