बचपन के सपनों को मिला सुनहरा मंच – फरसाबहार बना प्रेरणा का केंद्र

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 🏫 बचपन के सपनों को मिला सुनहरा मंच -बिखरी मुस्कानें,गूंजा बचपन

🌟 बचपन के सपनों को मिला सुनहरा मंच

फरसाबहार में गूंजा बचपन, बिखरी मुस्कानें – शाला प्रवेश उत्सव बना प्रेरणा का केंद्र

📅 तारीख: 19 जुलाई 2025

📍 स्थान: विकासखण्ड फरसाबहार, छत्तीसगढ़

✍️ लेखन: मुकेश कुमार, सहयोग- दादूप्रसाद चंद्रा


 नमस्कार 🙏साथियों आज मैं अपने लेखन में 21वीं सदी में जो नन्हे मुन्ने जो पहली बार अपनी स्कूल आए हैं अपने जीवन को संवारने के लिए उनके बारे में छोटा सा लेख प्रस्तुत कर रहा हूं तो चलिए यह कहानी फरसाबहार ब्लॉक की है और एक नए सफर पर चलते हैं👇

✨ प्रस्तावना: जहां सपने शिक्षा से जुड़ते हैं...

छात्राओं के साथ श्रीमती कौशल्या विष्णु देव साय

हर बच्चा एक सपना होता है। और जब उस सपने को शिक्षा का सहारा मिलता है, तब वह सिर्फ सपना नहीं रहता – वह बनता है भविष्य का उजाला।फरसाबहार विकासखण्ड ने 19 जुलाई 2025 को कुछ ऐसा ही कर दिखाया। यहां का 'शाला प्रवेश उत्सव' महज़ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि बचपन के लिए सजे मंच की वो सुबह थी, जिसमें हर बच्चे ने अपने उज्ज्वल कल की पहली किरण को छुआ।

🎉 उत्सव की शुरुआत – 

दीप प्रज्वलन करते अतिथि

जब परंपरा, संस्कृति और प्रेम मिले कार्यक्रम की शुरुआत हुई दीप प्रज्वलन और माँ सरस्वती की वंदना के साथ – जैसे ज्ञान और संस्कृति का दिव्य संगम हो रहा हो। मंच पर छात्र-छात्राओं के स्वर और तालियों की गूंज ने वातावरण को इतना जीवंत बना दिया कि हर आंखें नम होकर मुस्कराईं।संचालन की जिम्मेदारी सँभाली प्रत्यूष तिवारी और आकांक्षा भगत ने – जिन्होंने अपने आत्मविश्वास और स्पष्ट उच्चारण से यह सिद्ध किया कि भविष्य यहीं से जन्म लेता है।

👏 मुख्य आकर्षण – 

जब गरिमा और जनसेवा एक साथ मंच पर आए

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं माननीया श्रीमती कौशल्या विष्णुदेवसाय जी, जिनकी उपस्थिति ने न केवल इस आयोजन को गरिमामयी बना दिया, बल्कि शिक्षा के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण भी प्रस्तुत किया।

👉उनके शब्दों ने बच्चों को आश्वस्त किया –

 "तुम पढ़ो, बढ़ो, गढ़ो – हम सब तुम्हारे साथ हैं।"

🎭 रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम – जब नन्हें पाँवों ने छत्तीसगढ़ की आत्मा को जगा दिया-

लोकनृत्य करते छात्राएं

एकलव्य विद्यालय और सेजेस फरसाबहार के बच्चों ने अपनी कला, भाव और ऊर्जा से ऐसा समां बाँधा कि पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा।लोक नृत्य, गीत, और नाटकों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की गंध थी, मिट्टी की महक थी और जीवन का उत्सव था। जैसे-जैसे एक-एक प्रस्तुति मंच पर आती, दर्शकों की आंखों में कभी गर्व, कभी गदगदता, तो कभी नम सी चमक भर जाती।

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👶 नवप्रवेशी बालकों का भव्य स्वागत – जब सम्मान ने शिक्षा को आत्मीयता दी

 छात्र-छात्राओं का भव्य स्वागत

नवप्रवेशी बच्चों का तिलक, चंदन, पुष्पवर्षा और मिठाई से ऐसा स्वागत किया गया, मानो यह कोई पारिवारिक उत्सव हो। उन्हें नवीन पाठ्यपुस्तकें, गणवेश, सायकल, बस्ता और जूते-मोजे सौंपे गए – न सिर्फ भौतिक रूप से सशक्त करने हेतु, बल्कि यह जताने के लिए कि "तुम हमारे लिए अनमोल हो।"

बच्चों की आंखों में चमक और मुस्कान ने सब कुछ कह दिया – 

"अब हमारा स्कूल भी है, किताब भी है, और साथ में पूरा समाज भी।"

🏆 शिक्षक सम्मान – जब प्रेरणा को पहचान मिली

शिक्षकों को सम्मान, अतिथियों द्वारा

शिक्षक केवल पढ़ाते नहीं, संस्कारों की नींव रखते हैं। इस बात को सार्थक किया गया जब विकासखंड फरसाबहार के सभी वर्ग के शिक्षक शिक्षिकाओं व कर्मचारियों को  प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।इस सम्मान से उनके अंदर जो ऊर्जा, उत्साह और जिम्मेदारी जगी, वह आने वाले सत्र में ज़रूर नई ऊंचाइयों को छुएगी।

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🤝 अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति – पूरा समाज बना सहभागी

कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रतिष्ठित जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने न केवल सहभागिता निभाई, बल्कि शिक्षा के प्रति अपने भाव को खुलकर साझा भी किया।

🟢 उपस्थित प्रमुख जनप्रतिनिधि:

 उपस्थित जनप्रतिनिधि 

इस ऐतिहासिक पर्व में माननीय जनप्रतिनिधियों  में श्री वेद प्रकाश भगत (जिला पंचायत सदस्य),श्री मुक्तेश्वर साय (मंडल अध्यक्ष),श्रीमती हेमंती भरत साय (जनपद अध्यक्ष),श्रीमती संध्या सिंह (अध्यक्ष, शिक्षा समिति),श्री फेंटा चौधरी, श्री दीपक चौहान, श्री योगेश मिश्रा,श्रीमती राधिका पैंकरा, श्री ठाकुर राम, श्री शिव कुमार पैंकरा की गरिमामयी उपस्थिति ने  इस कार्यक्रम को  सजाया जिससे बच्चों के चेहरे खिल उठे।

🟢 प्रमुख अधिकारी: 

 शिक्षा विभाग के पदाधिकारी के साथ श्रीमती कौशल्या विष्णु देव साय

शिक्षा विभाग जशपुर जिला के  प्रमुख पदाधिकारी श्री प्रमोद कुमार भटनागर (जिला शिक्षा अधिकारी),श्री दुर्गेश देवांगन (विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी फरसाबहार),श्री देवेंद्र कुमार सिंह (विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक),श्री रविंद्रनाथ साय (ABEO),श्री दादू प्रसाद चन्द्रा (प्रभारी BPO),सुश्री ज्योत्सना कोलहारी (तहसीलदार),श्री प्रदीप कुमार कुजूर, प्राचार्य हेमंत कुमार निकुंज, श्री प्रभाकांत सरोज की उपस्थिति  ने इस उत्सव को और शानदार बना  दिया।

🍛 भोजन प्रबंधन – सादगी में सामूहिकता का संदेश

सभी अतिथियों, शिक्षकों, पालकों और छात्र-छात्राओं को सामूहिक रूप से भोजन परोसा गया। यह भोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का स्वाद था।

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संकुल शैक्षिक समन्वयकों के अथक प्रयासों से यह व्यवस्था उत्कृष्ट रही और हर किसी ने दिल से उसकी सराहना की।

🌳 “एक पेड़ माँ के नाम” – शिक्षा और पर्यावरण का मिलन

 एक पेड़ मां के नाम, श्रीमती कौशल्या विष्णु देव साय के साथ छात्र पौधा लगाते हुए।

कार्यक्रम के अंतिम क्षणों में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत मुख्य अतिथि ने विद्यालय परिसर में आम का पौधा रोपायह पौधरोपण केवल पर्यावरणीय प्रतीक नहीं था, बल्कि यह शिक्षा और माँ की ममता को प्रकृति से जोड़ने का एक अद्भुत संदेश था।

"हर बच्चा एक बीज है – सींचिए, बड़ा कीजिए और फलदायी बनाइए।" 🌱

🔍 विश्लेषण और निष्कर्ष – शिक्षा का उत्सव, समाज की उन्नति

फरसाबहार में आयोजित यह शाला प्रवेश उत्सव शिक्षा, संस्कृति और सामुदायिक सहभागिता का ऐसा त्रिवेणी संगम था, जिसे केवल देखा या सुना नहीं, बल्कि महसूस किया गया।हर बच्चे ने सीखा कि शिक्षा कोई बोझ नहीं, बल्कि सम्मान है।हर शिक्षक ने जाना कि प्रेरणा देना ही असली पढ़ाना है।हर पालक ने महसूस किया कि स्कूल और समाज साथ चलें, तो भविष्य रोशन है।

📝 आयोजन की विशेष झलकियाँ:👇

 छात्राओं को साइकिल वितरित करते जनप्रतिनिधि एवं अतिथि

बिंदु विवरण

🎤 मुख्य अतिथि श्रीमती कौशल्या विष्णुदेवसाय

👥 सहभागिता 1200+ छात्र, शिक्षक, पालक

🎨 सांस्कृतिक कार्यक्रम लोक नृत्य, गीत, नाटक

🎁 वितरण पुस्तक, गणवेश, साइकिल

🏅 शिक्षक सम्मान प्रशस्ति पत्र

🌳 विशेष पहल एक पेड़ माँ के नाम

🍽️ भोज प्रबंधन संकुल समन्वयकों द्वारा


📢 अंतिम पंक्तियाँ – जहाँ शिक्षा पर्व बन गई

 "जब एक कार्यक्रम, बच्चों के चेहरे पर मुस्कान और समाज के हृदय में आशा भर दे – तो समझिए वो केवल आयोजन नहीं, एक आंदोलन है।"

फरसाबहार ने यही कर दिखाया।यह केवल "प्रवेश" नहीं था – यह था एक युग की शुरुआत


📌 लेखक: ✍️मुकेश कुमार

🌐 ब्लॉग विशेष प्रस्तुति: www.mukeshsir.com




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