टिकैटगंज में ऐतिहासिक शिक्षक-पालक सम्मेलन: शिक्षा में साझेदारी की नई मिसाल
🌱 परिचय
शिक्षा केवल स्कूल की चारदीवारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह घर और विद्यालय, दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है। 07 अगस्त 2025 को शासकीय प्राथमिक शाला टिकैटगंज में एक ऐसा शिक्षक-पालक सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसने इस विचार को व्यवहार में उतार दिया।इस ऐतिहासिक बैठक में शासकीय प्राथमिक शाला और शासकीय माध्यमिक शाला टिकैटगंज के सभी शिक्षक और अभिभावक शामिल हुए।
इसका उद्देश्य था—बच्चों की शिक्षा, अनुशासन, सुरक्षा, और सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक-पालक सहभागिता को मजबूत करना।
🎉 शुभारंभ: संस्कृति और सम्मान के साथ
सम्मेलन की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन के साथ हुई।
जैसे ही दीप जला, वातावरण में शिक्षा के प्रति सम्मान और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो गया।
बच्चों ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर सभी मेहमानों का मन मोह लिया।
इसके बाद बच्चों ने बारी-बारी से पालकों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया, जो आपसी आदर और विश्वास का प्रतीक था।
🗣️ मुख्य चर्चाएँ और संदेश
1. प्रधान पाठक राजू राम भगत का प्रेरक संबोधन
राजू राम भगत सर ने सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की—
1.घर का वातावरण बच्चों की पढ़ाई के अनुकूल होना चाहिए।
2.बच्चों के लिए एक निश्चित पढ़ाई का कोना बनाना जरूरी है।
3.बच्चों की दिनचर्या को संतुलित और समयबद्ध बनाना।
4.बच्चों को अच्छा टच और खराब टच के बारे में जागरूक करना।
उनका स्पष्ट संदेश था—
"विद्यालय तभी उत्कृष्ट बनेगा, जब शिक्षक, अभिभावक और बच्चे मिलकर काम करेंगे।"
2. सीएसी ज्योति सिन्हा की जानकारीपूर्ण प्रस्तुति
जाति, आय, और निवास प्रमाण पत्र के महत्व पर प्रकाश डाला।
समझाया कि सही दस्तावेज़ होने पर ही बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकता है।
नियमित उपस्थिति और घर पर कॉपी चेक करने की आदत पर जोर दिया।
3. मिडिल स्कूल प्रधान पाठक श्रीमती स्नेहा कुजूर का संदेश
अभिभावकों से अनुरोध किया कि बच्चों को रोज़ स्कूल तक पहुँचाएँ।विद्यालय प्रांगण में पौधारोपण और सफाई अभियान में सहयोग देने की अपील।
4. शिक्षिका श्रीमती मीना सिन्हा की नवाचारी पहल
ई-जादुई पिटारा और दीक्षा ऐप के उपयोग की जानकारी दी।अभिभावकों के घर जाकर बच्चों का पढ़ाई का कोना तैयार किया।बच्चों के पढ़ते हुए फोटो शिक्षक-पालक व्हाट्सऐप ग्रुप में साझा करने की प्रेरणा दी।रोज़ प्रार्थना सभा में बच्चों से कविता और अंग्रेजी के 3 शब्द बोलने की आदत डलवाई।बच्चों की स्वास्थ्य जांच और पोषण पर भी चर्चा की।
5. अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
न्योता भोज और पोक्सो एक्ट की जानकारी।
नवोदय और एकलव्य परीक्षा की तैयारी।
रोज़ रचनात्मक लेखन का अभ्यास।
मूल्यांकन रिपोर्ट का अभिभावकों के साथ साझा करना।
🤝 शिक्षक-पालक सहभागिता: शिक्षा की रीढ़
इस सम्मेलन ने यह साबित किया कि—
जब शिक्षक और अभिभावक एक मंच पर आते हैं, तो बच्चों की पढ़ाई और व्यवहार में चमत्कारिक बदलाव आता है।
घर और स्कूल के बीच की दूरी कम होती है, और बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है।
🌟 सम्मेलन के प्रमुख प्रभाव
1. अभिभावकों की जागरूकता बढ़ी
कई अभिभावकों ने माना कि वे अब घर पर बच्चों की पढ़ाई में अधिक समय देंगे।
2. शिक्षकों का मनोबल बढ़ा
उन्हें महसूस हुआ कि उनके प्रयासों को अभिभावकों का समर्थन मिल रहा है।
3. बच्चों में उत्साह
सम्मानित होने और नई गतिविधियों के बारे में सुनकर बच्चों में उत्साह दोगुना हुआ।
📌 भविष्य की योजना
हर 3 महीने में एक बार शिक्षक-पालक सम्मेलन आयोजित करना।
पढ़ाई के कोने की फोटो और बच्चों की प्रगति को लगातार मॉनिटर करना।
विद्यालय परिसर को हरा-भरा और स्वच्छ रखने का सामूहिक संकल्प।
🗝️ निष्कर्ष
07 अगस्त 2025 का टिकैटगंज शिक्षक-पालक सम्मेलन केवल एक बैठक नहीं था, बल्कि यह शिक्षा में साझेदारी की नई मिसाल था।
यह साबित करता है कि—
"अगर शिक्षक और अभिभावक मिलकर काम करें, तो शिक्षा का स्तर ऊँचाइयों को छू सकता है।"
💬 प्रेरणादायक संदेश
"शिक्षक बोता है ज्ञान के बीज, अभिभावक सींचते हैं, और तब पनपता है एक उज्ज्वल भविष्य का वृक्ष।"