नमस्कार दोस्तों आज के लेख में मैं एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे में बात करना चाहता हूं जिसको जानना जरूरी है जिन्होंने अपने संघर्ष के दम पर सफलता की नहीं ऊंचाई छुआ है। चलिए आज की यात्रा को शुरू करते हैं.....
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टुमनू गोसाई सर, ब्लू ब्लेजर में |
कलिंगा विश्वविद्यालय रायपुर में शिक्षक सम्मान समारोह 2025 : छत्तीसगढ़ के उत्कृष्ट शिक्षकों का गौरवपूर्ण अलंकरण
प्रस्तावना
शिक्षक ही राष्ट्र की आत्मा हैं। भारत की प्राचीन परंपरा में गुरु को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। आधुनिक समय में भी जब शिक्षा तकनीक और प्रतियोगिता की चुनौतियों से गुजर रही है, तब ऐसे शिक्षक जो नवाचार, समर्पण और समाजोत्थान के माध्यम से पीढ़ियों का निर्माण कर रहे हैं, उन्हें सम्मानित करना वास्तव में शिक्षा और संस्कृति के उत्थान का प्रतीक है।
इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर ने वर्ष 2025 में एक भव्य राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में वर्ष 2024 बैच के उन सभी शिक्षकों को सम्मानित किया गया जिन्हें छत्तीसगढ़ राज्यपाल द्वारा राज्यपाल पुरस्कार से अलंकृत किया गया था। यह अवसर न केवल गौरव का था बल्कि अनुभवों, विचारों और शिक्षा के भविष्य पर चर्चा का भी मंच बना।
इस समारोह में श्री टूमनु गोसाई, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जशपुर की गरिमामयी उपस्थिति विशेष महत्व रखती है। जशपुर जैसे भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशिष्ट जिले से शिक्षा की प्रतिनिधि आवाज़ इस आयोजन में पहुँची, जिसने इस समारोह को और भी ऐतिहासिक बना दिया।
श्री टुमनू गोसाई का व्यक्तित्व समाज, शिक्षा और संस्कृति का अद्वितीय संगम है। उनका जीवन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के संघर्ष और संकल्प की गाथा है। लोकजीवन की सादगी, परंपरा के प्रति सम्मान और शिक्षा के प्रति गहरी निष्ठा ने उन्हें समाज में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है।
जशपुर की धरती पर जन्मे और पले-बढ़े श्री टुमनू गोसाई ने अपने कर्म, विचार और सेवा से यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची महानता साधनों में नहीं, बल्कि साधना में बसती है।
वे न केवल एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व हैं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक और समाज सुधार की अलख जगाने वाले दीपस्तंभ भी हैं।
कलिंगा विश्वविद्यालय की भूमिका
कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर की स्थापना वर्ष 2013 में हुई। अपनी बहुआयामी कार्ययोजना, शैक्षणिक गुणवत्ता और सामाजिक सरोकारों के कारण यह विश्वविद्यालय आज छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे भारत के शैक्षणिक जगत में अपनी अलग पहचान बना चुका है।
- यहाँ न केवल उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध हैं बल्कि अनुसंधान, खेल, सांस्कृतिक गतिविधियाँ और सामाजिक उत्थान भी इसके प्रमुख आयाम हैं।
- विश्वविद्यालय ने हमेशा शिक्षा और समाज को जोड़ने वाले प्रयास किए हैं, जैसे गाँवों को गोद लेना, छात्रवृत्ति देना और खेलों को बढ़ावा देना।
- इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय ने राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षकों को एक भव्य मंच पर सम्मानित करने की जिम्मेदारी निभाई।
कार्यक्रम की शुरुआत – माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की देवी माँ सरस्वती के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलित कर हुआ।
- दीप प्रज्वलन की इस परंपरा ने यह संदेश दिया कि ज्ञान और शिक्षा ही वह प्रकाश है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर समाज को आगे बढ़ाता है।
- इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी और गोल्फ फेडरेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक एवं महासचिव आर्यवीर आर्य की गरिमामयी उपस्थिति रही।
- उनके साथ ही अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भी दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आरंभ किया।
कलिंगा विश्वविद्यालय की विकास यात्रा का प्रदर्शन
मुख्य अतिथि के करकमलों से कलिंगा विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक की विकास यात्रा को प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
- इसमें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक योगदान, अनुसंधान कार्य, सामाजिक जिम्मेदारियाँ और खेलों के क्षेत्र में उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया गया।
- शिक्षकों और अतिथियों ने इसे बड़े उत्साह से देखा और सराहा।
राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षकों का अलंकरण
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा – छत्तीसगढ़ के 40 से अधिक राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षकों का सम्मान।
- शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र, सुरक्षा कवच शॉल, डायरी, पेन और प्रतीक चिन्ह प्रदान किए गए।
- यह सम्मान केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं बल्कि पूरे जिले, समाज और शिक्षा जगत का सम्मान था।
- इस अवसर पर प्रत्येक शिक्षक का चेहरा गर्व और आत्मविश्वास से दमक रहा था।
जशपुर से प्रतिनिधित्व : श्री टूमनु गोसाई का दृष्टिकोण
शिक्षक सम्मान समारोह में श्री टूमनु गोसाई, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जशपुर की उपस्थिति विशेष महत्व रखती है।
- जशपुर जिला छत्तीसगढ़ का वह क्षेत्र है जहाँ शिक्षा को लेकर अनेक भौगोलिक व सामाजिक चुनौतियाँ हैं।
- यहाँ पर आदिवासी अंचल, दुर्गम गाँव और सीमित संसाधनों के बीच शिक्षा का विस्तार करना आसान नहीं है।
- श्री गोसाई ने सदैव इस लक्ष्य के साथ कार्य किया है कि शिक्षा केवल प्रमाण पत्र तक सीमित न रहे बल्कि मानव निर्माण और सामाजिक उत्थान का साधन बने।
उनका यह मानना है कि –
- शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चों को संस्कार, अनुशासन और आत्मविश्वास देने का माध्यम है।
- सम्मान तभी सार्थक है जब उसका उपयोग समाज की बेहतरी के लिए किया जाए।
कलिंगा विश्वविद्यालय जैसे भव्य मंच पर पहुँचकर उन्होंने यह संदेश दिया कि –
“छोटे से जिले के शिक्षक भी यदि अपने कर्तव्य को निष्ठा और लगन से निभाएँ, तो वे राष्ट्रीय और वैश्विक मंचों तक अपनी पहचान बना सकते हैं।”
मुख्य अतिथि आर्यवीर आर्य जी का प्रेरक संदेश
गोल्फ फेडरेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक आर्यवीर आर्य जी ने अपने सामाजिक सरोकारों से सबका दिल जीत लिया।
- उन्होंने एक दिव्यांग अध्यापिका को व्हीलचेयर प्रदान करने और एक बच्ची की शिक्षा का संपूर्ण खर्च उठाने की घोषणा की।
- उनका यह कदम शिक्षा और मानवीय संवेदना के सुंदर संगम का प्रतीक बना।
शिक्षकों का फीडबैक और अनुभव
सभागार में उपस्थित शिक्षकों ने कलिंगा विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं और आयोजन की सराहना की।
- शिक्षकों ने बताया कि यहाँ की शिक्षण पद्धति, अनुशासन और छात्र-हितैषी वातावरण वास्तव में प्रेरणादायक है।
- विश्वविद्यालय का संकल्प – “शिक्षा में नवाचार और समाज में योगदान” – सभी को बहुत प्रभावित कर गया।
श्री टूमनु गोसाई का संदेश
इस अवसर पर श्री टूमनु गोसाई ने कहा –
- “शिक्षक का सम्मान केवल व्यक्ति का नहीं बल्कि शिक्षा और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी का सम्मान है।
- यह आयोजन हमें और अधिक मेहनत करने, नवाचार लाने और विद्यार्थियों को एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित करता है।
- जशपुर जैसे क्षेत्र में हम शिक्षा को सामाजिक क्रांति का माध्यम बनाकर बच्चों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास जारी रखेंगे।”
निष्कर्ष
कलिंगा विश्वविद्यालय रायपुर का शिक्षक सम्मान समारोह 2025 छत्तीसगढ़ के शिक्षा जगत के लिए एक स्वर्णिम अवसर साबित हुआ।
- इसने यह सिद्ध कर दिया कि शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं बल्कि समाज की आत्मा को गढ़ने वाले सच्चे निर्माता हैं।
- श्री टूमनु गोसाई जैसे अधिकारी और शिक्षक इस प्रेरणा को अपने कार्यों से आगे बढ़ा रहे हैं।
- यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरक मिसाल है कि – “सच्चा सम्मान वही है, जो हमें समाज और शिक्षा की बेहतरी के लिए और अधिक समर्पित कर दे।”