तीज पर्व का उल्लास – ग्राम फुलझर (सन्ना-बगीचा, जशपुर) की खास झलक

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🌸 तीज पर्व का उल्लास – ग्राम फुलझर (सन्ना-बगीचा, जशपुर) की खास झलक

अधिवक्ता श्रीमती बबीता बुनकर ने परिवार संग मनाया तीज, पति मुकेश कुमार और माता श्रीमती मित्री देवी पति श्री राम चंद्र राम भी रहे शामिल


✨ प्रस्तावना

अधिवक्ता श्रीमती बबीता बुनकर गाँव में

भारत की ग्रामीण संस्कृति का सबसे बड़ा सौंदर्य यह है कि यहाँ त्योहार केवल परंपरा नहीं बल्कि जीवन का उत्सव होते हैं। हर पर्व समाज को जोड़ने, परिवारों को एक करने और स्त्री-पुरुष समानता का संदेश देने का अवसर प्रदान करता है।
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का ग्राम फुलझर भी इस सांस्कृतिक धारा से अलग नहीं है। यहाँ तीज पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। खास बात यह रही कि इस आयोजन में अधिवक्ता श्रीमती बबीता बुनकर ने पूरे परिवार व ग्रामीणजनों के साथ सहभागिता की। उनके पति मुकेश कुमार और उनकी माता (सास) श्रीमती मित्री देवी भी इस अवसर पर शामिल रहीं।


🌿 तीज पर्व का सांस्कृतिक महत्व

  • तीज पर्व विशेष रूप से महिलाओं का त्यौहार माना जाता है।
  • इस दिन व्रत, पूजा, झूला, गीत और नृत्य के माध्यम से महिलाएँ अपनी सुख-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण की कामना करती हैं।
  • यह पर्व श्रावण और भाद्रपद मास में आता है और प्रकृति के सौंदर्य से गहराई से जुड़ा होता है।
  • तीज के साथ-साथ हरियाली, सावन के झूले और पारंपरिक गीतों की गूंज गांव-गांव तक सुनाई देती है।

🌸 ग्राम फुलझर में तीज का आयोजन

ग्राम फुलझर, जो तहसील सन्ना और ब्लॉक बगीचा के अंतर्गत आता है, प्राकृतिक दृष्टि से बेहद सुंदर स्थान है। यहाँ की आबोहवा और ग्रामीण परंपराएँ त्योहारों को और भी जीवंत बना देती हैं।
इस वर्ष तीज पर गाँव की महिलाएँ सुबह से ही पारंपरिक वेशभूषा में सजकर झूले डालने, गीत गाने और पूजा-अर्चना में लगी रहीं।
पूरे गाँव का वातावरण लोकगीतों, ढोलक और मंजीरे की थाप से गूंज उठा।

पति मुकेश कुमार संग अधिवक्ता श्रीमती बबीता बुनकर

👩‍⚖️ अधिवक्ता श्रीमती बबीता बुनकर का योगदान

श्रीमती बबीता बुनकर का व्यक्तित्व बेहद सरल, सहज और प्रेरणादायक है। वे पेशे से अधिवक्ता हैं, लेकिन समाज और संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई हैं।

  • तीज जैसे पारिवारिक पर्व में वे केवल परिवार तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि आस-पड़ोस और ग्रामीण महिलाओं को भी साथ जोड़ती हैं।
  • उनका मानना है कि पारंपरिक त्यौहार हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखते हैं
  • वे हमेशा सरल स्वभाव और मिलनसार प्रवृत्ति के कारण समाज में सम्मानित स्थान रखती हैं।

👨‍👩‍👧 परिवार की सहभागिता

तीज के इस आयोजन में श्रीमती बबीता बुनकर के पति मुकेश कुमार भी मौजूद रहे।

  • उन्होंने इस अवसर पर पत्नी के साथ खड़े रहकर परिवारिक सहयोग और समानता का आदर्श प्रस्तुत किया।

साथ ही, बबीता बुनकर की माता श्रीमती मित्री देवी, जो कि मुकेश कुमार की सास हैं, ने भी पूरे श्रद्धाभाव से तीज व्रत किया।

  • उनका यह व्रत परिवार की परंपरा और पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती आ रही संस्कृति का प्रतीक था।
  • माँ, बेटी और दामाद – तीन पीढ़ियों की यह सहभागिता पूरे आयोजन को और भी पारिवारिक व सामाजिक दृष्टि से विशेष बना गई।

🎶 तीज गीत और झूले की परंपरा

गाँव की महिलाएँ पारंपरिक गीतों में सावन की सुंदरता, पिया मिलन की चाह और पारिवारिक बंधनों की मधुरता का गायन कर रही थीं।

  • पेड़ों पर झूले डाले गए और बच्चे-बच्चियाँ भी उल्लास से झूलते दिखे।
  • “हरियर सावन, हरियर मन” की भावना पूरे गाँव में देखने को मिली।

🌺 सामाजिक दृष्टि से महत्व

फुलझर गाँव का यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक मेल-जोल और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बन गया।



  • ग्रामीण महिलाएँ एक-दूसरे से मिलकर सखीभाव और बहनापा मजबूत कर रही थीं।
  • युवा पीढ़ी ने अपने बुजुर्गों से परंपरा को समझा और संस्कारों की सीख ली।

🙏 सरल स्वभाव का व्यक्तित्व – बबीता बुनकर

ग्रामीण महिलाएँ और परिवारजन बताते हैं कि अधिवक्ता बबीता बुनकर का स्वभाव बेहद सादगीपूर्ण और सहयोगी है।

  • वे अपने पेशेवर जीवन में जहां कानून और न्याय के प्रति सजग हैं, वहीं निजी जीवन में सांस्कृतिक मूल्यों का पालन करती हैं।
  • उनका व्यक्तित्व यह संदेश देता है कि आधुनिक शिक्षा और परंपरागत संस्कृति का सुंदर संगम संभव है।

🌍 जशपुर की सांस्कृतिक धरोहर में तीज

जशपुर जिला आदिवासी बहुल क्षेत्र है और यहाँ की संस्कृति, पर्व और लोकजीवन हमेशा से विशेष रहे हैं।

  • यहाँ के गाँवों में तीज, करमा, छठ, दीवाली और फसल त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
  • इस बार फुलझर गाँव का तीज आयोजन जिले की सांस्कृतिक विविधता का एक अनूठा उदाहरण बनकर उभरा।
    गाँव के लोगों को कथा सुनने के लिए आमंत्रित की थी


💡 तीज पर्व से मिलने वाले संदेश

  1. स्त्री-पुरुष समानता – जब पति-पत्नी मिलकर त्योहार मनाते हैं तो समाज में सकारात्मक संदेश जाता है।
  2. सामाजिक एकता – गाँव के सभी लोग एक साथ आते हैं और भाईचारे को मजबूत करते हैं।
  3. संस्कृति संरक्षण – नए जमाने में भी परंपरा का महत्व बनाए रखना।
  4. आध्यात्मिक उन्नति – व्रत-पूजा से आत्मबल और विश्वास की वृद्धि होती है।
  5. पीढ़ी-दर-पीढ़ी परंपरा – जब माता (मित्री देवी), पति रामचंद्र राम,बेटी (बबीता बुनकर) और दामाद (मुकेश कुमार) साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं तो यह समाज को गहरा सांस्कृतिक संदेश देता है।

🖊️ निष्कर्ष

ग्राम फुलझर (सन्ना-बगीचा, जशपुर) में तीज पर्व का यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि जीवन दर्शन की झलक थी।
अधिवक्ता श्रीमती बबीता बुनकर, उनके पति मुकेश कुमार और माता श्रीमती मित्री देवी - पति श्री राम चंद्र राम चारों ने इसमें शामिल होकर परिवार और समाज के सामूहिक मूल्यों को उजागर किया।
उनका सरल व्यक्तित्व, सादगी और सांस्कृतिक जुड़ाव आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है।

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