सहायक शिक्षक से नियमित होने तक की गौरवमयी यात्रा : जशपुर में शिक्षा का नया अध्याय

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सहायक शिक्षक से नियमित होने तक की गौरवमयी यात्रा : जशपुर में शिक्षा का नया अध्याय


नियुक्ति से शुरुआत : 2022 की यादें

जून-जुलाई 2022, यह वह समय था जब जशपुर जिले में शिक्षा विभाग ने  सहायक शिक्षकों की नियुक्ति की। यह पल उन युवाओं के लिए ऐतिहासिक था, जिन्होंने वर्षों की तैयारी और प्रतियोगी परीक्षाओं में संघर्ष के बाद शिक्षक बनने का सपना देखा था। नियुक्ति पत्र हाथ में आने के बाद जिन चेहरों पर चमक आई, वह केवल व्यक्तिगत प्रसन्नता नहीं थी, बल्कि पूरे परिवार और समाज की जीत थी।

नए-नए चुने गए ये सहायक शिक्षक जब पहली बार स्कूल की दहलीज़ पर पहुँचे तो उनके भीतर उत्साह और जिम्मेदारी का अद्भुत संगम था। वे जानते थे कि अब वे केवल किताबें पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि बच्चों के जीवन निर्माण के निर्माता बनने वाले हैं। गाँव के बच्चे, जो विज्ञान को अक्सर कठिन मानते थे, उन्हें आसान और रोचक बनाने का कार्य इन्हीं नए शिक्षकों ने शुरू किया।


परीक्षा अवधि : संघर्ष और समर्पण की कहानी

नियुक्ति के बाद आरंभ हुई परीक्षा अवधि (प्रोबेशन पीरियड) किसी भी शिक्षक की वास्तविक कसौटी होती है। इस अवधि में उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए विभाग और समाज के सामने अपनी योग्यता सिद्ध करनी होती है।

जशपुर जैसे जिले में, जहाँ भौगोलिक परिस्थितियाँ और संसाधनों की सीमाएँ चुनौतियाँ पेश करती हैं, वहाँ इन सहायक शिक्षकों ने असाधारण धैर्य और समर्पण का परिचय दिया।

  • दूरस्थ गाँवों तक रोज़ाना पहुँचना कभी आसान नहीं था। बरसात में उफनती नदियाँ और कीचड़ भरे रास्ते उनके सामने दीवार बनकर खड़े हो जाते थे।
  • कई बार स्कूलों में बैठने की पर्याप्त साधन नहीं थे लेकिन शिक्षकों ने जुगाड़ से अभिभावकों के भवन में कक्षा  कराकर बच्चों को शिक्षा को प्रदान किया।
  • विभागीय कार्य जैसे सर्वेक्षण, रजिस्टर भरना, योजनाओं का क्रियान्वयन भी उन्हें संभालना पड़ा।

इसके बावजूद इन शिक्षकों ने न केवल अपने कर्तव्यों को निभाया, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की निरंतर कोशिश की। यह अवधि उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली को और भी निखारने वाली साबित हुई।


2025 का स्वर्णिम क्षण : नियमितीकरण की घोषणा

तीन वर्षों तक ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करने के बाद 3 सितम्बर 2025 में वह सुनहरा दिन आया, जब इन सहायक शिक्षकों को नियमित घोषित किया गया। यह घोषणा केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं थी, बल्कि उन सभी शिक्षकों के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था।

नियमित होने का अर्थ है—स्थिरता, सम्मान और भविष्य की सुरक्षा। इस निर्णय ने शिक्षकों को यह भरोसा दिया कि अब उनकी मेहनत और लगन को स्थायी रूप से मान्यता मिली है। उनके परिवारों के लिए भी यह सुखद समाचार था, जिन्होंने वर्षों से संघर्ष किया था।


आभार और अभिनंदन : विभाग को समर्पित धन्यवाद


नियमितीकरण की खुशी में जशपुर जिले के शिक्षा कार्यालय में एक स्नेहिल कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधिकारी श्री पी.के. भटनागर, MIS अधिकारी श्री नंदकिशोर चौहान, BEO ऑफिस के, समस्त सहायक संचालक, अधिकारी कर्मचारी, एवं विकासखंड जशपुर की BEO श्रीमती कल्पना टोप्पो, ABEO टुमनु गोसाई और समस्त BEO ऑफिस के सभी अधिकारी कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।

गुलदस्ता और मिठाई देकर धन्यवाद कहना केवल औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह शिक्षकों की विनम्रता और कृतज्ञता का प्रतीक था। इस कार्यक्रम ने विभाग और शिक्षकों के बीच सहयोग और विश्वास की नई डोर बुन दी।


सामूहिक खुशी : शिक्षकों का उल्लास

नियमितीकरण की खुशी साझा करते समय सभी शिक्षकों के चेहरे पर गर्व और संतोष की चमक थी।
मुकेश कुमार, देवकी प्रधान, मधु पैकरा, मनोहर टोप्पो, विजय पैंकरा, अंजना यादव, अनुपमा कुजूर, बंगला रात्रे, अनुपा तिर्की, रोशमा तिर्की, विनीता भोय, रंजीता षड़गी, कुलदीप, संगीता चंद्रवंशी, स्वाति आदित्य, निकिता नामदेव, उषा कुर्रे और हरिओम जैसे सभी शिक्षक इस गौरवमयी क्षण के साक्षी बने।

इनमें से कई शिक्षक पहली बार अपने परिवार में सरकारी नौकरी करने वाले हैं। नियमित होने के बाद उनका आत्मविश्वास और बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अब वे और अधिक निष्ठा से शिक्षा को बच्चों तक पहुँचाएँगे।


शिक्षकों की भावनाएँ : प्रेरणा की आवाज़

नियमितीकरण के बाद शिक्षकों की प्रतिक्रियाएँ बेहद भावुक और प्रेरणादायक रहीं।

  • मुकेश कुमार ने कहा—“अब जिम्मेदारी और बढ़ गई है। हमारा पहला संकल्प होगा कि बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा दें और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करें।”
  • देवकी प्रधान बोलीं—“यह केवल नौकरी नहीं, सेवा है। अब और अधिक निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करेंगे।”
  • मधु पैकरा और मनोहर टोप्पो ने इस दिन को अपने परिवार की उम्मीदों की जीत बताया।
  • विजय पैंकरा और अंजना यादव ने कहा—“हमारे विद्यार्थी ही हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। उनकी सफलता ही हमारी असली उपलब्धि होगी।”

इन भावनाओं ने साबित कर दिया कि शिक्षक केवल नौकरीपेशा व्यक्ति नहीं, बल्कि समाज सुधारक भी हैं।


विद्यार्थियों पर प्रभाव : शिक्षा की गारंटी

शिक्षक जब नियमित होते हैं, तो इसका सबसे बड़ा लाभ विद्यार्थियों को मिलता है।

  • कक्षा में अनुशासन और निरंतरता स्थापित होती है।
  • विद्यार्थी शिक्षकों के साथ आत्मीय संबंध महसूस करते हैं।
  • ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता स्थायी रूप से सुधरती है।

यह नियमितीकरण आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा की मजबूत नींव साबित होगा।


शिक्षा जगत में क्रांति का संकेत

जशपुर जिले में शिक्षकों का यह नियमितीकरण केवल स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि यह शिक्षा जगत में क्रांति का संकेत है। यह इस बात का प्रमाण है कि विभाग युवा शिक्षकों की ऊर्जा और नवाचार पर भरोसा करता है।

अब यही शिक्षक डिजिटल उपकरणों, प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा और आधुनिक पद्धतियों का प्रयोग करके बच्चों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँगे। यह प्रक्रिया शिक्षा को नई दिशा देने वाली होगी।


भविष्य की राह : नई उम्मीदें

नियमित होने के बाद इन शिक्षकों की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है।

  • अब वे केवल कक्षा तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि समाज में शिक्षा का उजाला फैलाएँगे।
  • डिजिटल शिक्षा और स्मार्ट क्लासरूम को बढ़ावा देंगे।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभाएँगे।
  • विद्यार्थियों को नवाचार, विज्ञान प्रयोग और शोध की ओर प्रेरित करेंगे।

निष्कर्ष : एक नई सुबह का आरंभ

2022 में सहायक शिक्षक के रूप में यात्रा शुरू करने वाले ये युवा 2025 में नियमित होकर शिक्षा का नया अध्याय लिख रहे हैं। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि धैर्य, परिश्रम और समर्पण से ही सफलता मिलती है। यह उपलब्धि केवल शिक्षकों की नहीं, बल्कि विद्यार्थियों, अभिभावकों और पूरे समाज की जीत है।

सचमुच, यह क्षण शिक्षा जगत में क्रांतिकारी बदलाव का संकेत है। यह केवल अतीत की उपलब्धि नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा है।



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