ऑनलाइन अटेंडेंस एप्स पर बवाल: छत्तीसगढ़ के शिक्षक संघ ने किया बहिष्कार का ऐलान
“शिक्षकों की निजता पर हमला बर्दाश्त नहीं” – संघ का तीखा बयान, प्रदेशव्यापी आंदोलन की तैयारी!
जशपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश विद्यालयीन शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग द्वारा लागू किए जा रहे ऑनलाइन अटेंडेंस एप्स को पूरी तरह अस्वीकार करते हुए इसके खिलाफ जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। संघ ने साफ कहा है कि पूरे प्रदेश के शिक्षक इस ऐप का बहिष्कार करेंगे।
गूगल मीट के माध्यम से आयोजित विशेष बैठक में प्रदेश अध्यक्ष धरमदास बंजारे, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद प्रेमी, जशपुर जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार, जिला संरक्षक डॉ. मिथलेश पाठक, मोहम्मद सलीमुद्दीन खान, लक्ष्मी नारायण बंजारे, संगठन मंत्री डी.के. सिरमौर सहित विभिन्न जिलों के पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से ऑनलाइन मॉनिटरिंग ऐप्स को “निजता का खुला उल्लंघन” बताया। बैठक का संचालन प्रदेश मीडिया प्रभारी कमल नारायण चौहान ने किया।
“निजी मोबाइल में ऐप्स घुसाकर शिक्षक को तकनीकी बोझ से दबाया जा रहा” – जशपुर जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार
जशपुर जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार ने कहा—
“शिक्षकों के निजी मोबाइल में ऐप डाउनलोड कर आधार, मोबाइल नंबर और ओटीपी जैसी जानकारी साझा कराना निजता के अधिकार का सीधा हनन है। साइबर अपराध की संभावनाएं बढ़ती हैं और शिक्षक अनावश्यक तकनीकी दबाव में आ जाते हैं।”
उन्होंने कहा कि विभाग ने पहले ही शिक्षकों पर 10 से अधिक ऐप्स और डिजिटल कार्यों का बोझ डाल दिया है—गूगल फॉर्म, ऑनलाइन सर्वे, दीक्षा, एमडीएम, ऑनलाइन प्रशिक्षण, एफएलएन इत्यादि।
“अब एक और ऐप थोपना शिक्षक समुदाय के साथ नाइंसाफी है,” उन्होंने कहा।
प्रदेश अध्यक्ष का तीखा बयान – “यह तुगलकी फरमान है, तुरंत वापस लिया जाए”
प्रदेश अध्यक्ष धरमदास बंजारे ने कहा—
“यदि निरीक्षण करना है तो विभागीय अधिकारी स्वयं विद्यालय जाएं। मोबाइल ऐप थोपकर शिक्षकों की निगरानी करना उचित नहीं। शिक्षक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ हैं, उन्हें संदिग्ध की तरह मॉनिटर करना बंद किया जाए।”
उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस नीति पर पुनर्विचार नहीं किया तो शिक्षक संगठन जल्द ही प्रांतीय स्तर पर बड़ा आंदोलन शुरू करेगा।
संघ की प्रमुख घोषणाएँ
ऑनलाइन अटेंडेंस एप्स का पूर्ण बहिष्कार।
शिक्षकों की निजता व सुरक्षा सर्वोपरि।
जल्द ही राज्यव्यापी विरोध कार्यक्रम की घोषणा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार से औपचारिक मांग रखी जाएगी।
“शिक्षक पढ़ाएंगे, ऐप नहीं चलाएंगे” – संघ का स्पष्ट संदेश
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया—
“शिक्षक का समय, मोबाइल और डेटा निजी संपत्ति है। शासन उन्हें तकनीकी बोझ से न दबाए। हमारा काम शिक्षा देना है, ऐप्स के जंजाल में उलझना नहीं।”
संघ ने शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि ऐप आधारित उपस्थिति प्रणाली तुरंत वापस ली जाए और मैनुअल मॉनिटरिंग व्यवस्था जारी रखी जाए।

