जयपुरिहा परिवार में जन्मी “श्रीवा” — शिक्षकीय एवं न्यायिक घराने में खुशियों की लहर!
16 दिसंबर 2025, शाम 4 बजकर 48 मिनट।
यह क्षण जयपुरिहा परिवार के लिए अविस्मरणीय बन गया, जब एक प्यारी कन्या ने अपनी किलकारियों से घर का वातावरण खुशियों से भर दिया।
पिता मुकेश कुमार और माता श्रीमती बबिता बुनकर ने अपनी बेटी का नाम रखा है — “श्रीवा”।
नाम के साथ ही नन्ही बेटी घर-आँगन में सौभाग्य और समृद्धि की किरण बनकर उतरी है।
ज्ञान और साहित्यिक पृष्ठभूमि से जन्मी सशक्त बेटी
बेटी श्रीवा के पिता मुकेश कुमार
पेशे से शिक्षक,
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग रायपुर के जिला समन्वयक,
प्रगतिशील लेखक संघ के जिला सचिव,
तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश विद्यालय शिक्षक संघ, जशपुर के जिलाध्यक्ष हैं।
इस विद्वान परंपरा में जन्मी कन्या के आगमन पर जयपुरिहा परिवार में उत्सव जैसा माहौल है।
न्याय के क्षेत्र से जुड़ी माँ — मजबूत स्तंभ
बेटी की माता श्रीमती बबिता बुनकर जशपुर जिला न्यायालय में अधिवक्ता हैं।
उनकी संघर्षशील यात्रा और न्यायप्रिय व्यक्तित्व को देखते हुए परिजन विश्वास कर रहे हैं कि श्रीवा शिक्षा, न्याय और मूल्य आधारित जीवन की ओर अग्रसर होगी।
पारिवारिक पृष्ठभूमि — आशीर्वादों का सागर
दादा – श्री रविंद्र राम
दादी – श्रीमती सनमती बाई
नाना – श्री रामचंद्र राम
नानी – श्रीमती मित्री देवी
चारों पीढ़ियाँ बेटी के जन्म पर प्रसन्नता से आलोकित हैं।
जयपुरिहा परिवार में मिठाइयाँ बाँटी जा रही हैं और परिजनों का उत्साह देखने लायक है।
जयपुरिहा परिवार में खुशियों की गूँज कन्या जन्म की सूचना मिलते ही शिक्षकों, समाजसेवियों, अधिवक्ताओं, मितान—मितानिन, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया।
बहुतों ने एक स्वर में कहा —
“बेटी आई है — घर स्वर्ग बन गया!”
“श्रीवा” नाम का अर्थ — समृद्धि का प्रतीक
“श्री” शब्द सौभाग्य और सम्पन्नता का द्योतक है।
“ईवा” जीवन और अस्तित्व का भाव लिए है।
इस प्रकार — “श्रीवा” का अर्थ है — सौभाग्य और समृद्धि लाने वाली।
यह नाम कन्या के उज्ज्वल भविष्य की नींव जैसा प्रतीत होता है।
माता-पिता का भावुक वक्तव्य
पिता मुकेश कुमार बोले —
“बेटी ने हमारे जीवन में खुशियों की बारिश कर दी है। यह क्षण अमूल्य है।”
माता बबिता बुनकर ने कहा —
“हम बेटी को मजबूत, संवेदनशील और शिक्षित बनाकर समाज की प्रेरणा बनाना चाहते हैं।”
🌸 नन्ही श्रीवा का आगमन — नए सपनों और नई उम्मीदों की शुरुआत
जयपुरिहा परिवार मानता है कि यह नन्ही परी —
समाज और परिवार में नए अध्याय लिखने का सामर्थ्य रखेगी
शिक्षा और न्याय की विरासत से जन्मी बेटी
आने वाले समय में—
विचार, ज्ञान, संस्कृति और साहित्य की पहचान बनेगी।

